मेरा अपना शहर – वाराणसी

मैं वाराणसी में रहता हूँ। यहाँ पर ज्यादातर युवाओं को टैक्स देने के बारे में नहीं पता। अधेड़ उम्र के लोग टैक्स देने के बारे में जानते हैं।

कितना टैक्स इकट्ठा होता है, कैसे खर्च होता है, यह कोई नहीं जानता।

संविधान के बारे में 1% लोग ही जानते हैं। जानकार लोग भी इसे नहीं पढ़ा करते। संविधान पढ़ना मुश्किल माना जाता है।

मेरे पूछने पर कई लोगों ने संविधान की कॉपी खरीदी। लोगों में उत्साह दिखाई दिया। बाद में पूछने पर इन्होनें भी संविधान को पढ़ना मुश्किल ही बताया। हिन्दी में बहुत कठिन शब्दों का प्रयोग है।


बनारस में शहर के 33 से ज्यादा नाले गंगाजी में गिरते हैं। कई घाटों पर पानी काले रंग का दिखता है, बदबू आती है। सरकारें लोगों को चुप करने के लिए मजेदार नियम बनाती हैं। जबकि गंदगी के मुख्य स्रोत उद्योग और नगरपालिकाएं हैं।

यहां पर 'सरकार' को दोषी माना जाता है। सरकार क्या है, कैसे काम करती है, इसकी समझ कमजोर है। यह समझ शिक्षकों और समाचार/पत्रकारों की कमजोर समझ से बहुत ज्यादा प्रभावित है। अपने जन-प्रतिनिधि के बारे में कुछ नहीं जानते।
पार्टियों के, नेताओं के किस्सों में खूब चटखारे लेते हैं।