गांव सशक्तिकरण जन-आंदोलन

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दिनांक _______________

सेवा में,

माननीय विधायक जी,

_________________, उत्तर प्रदेश।

उप्र पंचायती राज अधिनियम में सुधार

जन-प्रतिनिधि जी,

हमारी ग्राम पंचायतें दशकों से निम्नलिखित गंभीर समस्याओं से जूझ रही हैं। वृहत चर्चा और मंथन द्वारा इन समस्याओं के समाधान भी प्रस्तावित हैं।

आज की स्थिति और समस्याएं प्रस्तावित समाधान
सचिव पंचायत कार्यालय में नहीं बैठते। प्रधान के घर पर मिलकर गांव से चले जाते हैं। पंचायत की फाइलें अपने घर पर रखते हैं। गांव के लोगों को ब्लाक पंचायत पर बुलाते हैं। लेखपाल से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता। यह आम समस्या लंबे समय से बनी हुई है। वर्तमान में पंचायत के सब कर्मचारियों का वेतन सीधे लखनऊ से उनके बैंक खाते में जाता है। धारा 22-23 में पंचायत सचिव (Village Development Officer) और लेखपाल – दोनों का वेतन ग्राम पंचायत के बैंक खाते के माध्यम से ही जाना चाहिए।

इससे सचिव और लेखपाल की ग्राम पंचायत की तरफ जवाबदेही बढ़ेगी।

ग्राम प्रधान का जनता द्वारा, सीधा चुनाव (धारा 11ख) और हटाया जाना (धारा 14) वर्तमान अधिनियम में ग्राम प्रधान को पांच वर्ष से पहले बदलना अति कठिन हो गया है। इससे निरंकुशता और मनमानी बहुत बढ़ गई है। गांव में जो भी जिलाधिकारी से शिकायत करता है, उसे चिन्हित करके उससे बदला लिया जाता है। ग्राम प्रधान का चुनाव और हटाया जाना दोनों पंचायत सदस्यों द्वारा होना चाहिए।

आज भी – उप्र क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम 1961, में - क्षेत्र पंचायत प्रमुख का चुनाव (धारा 7) और हटाया जाना (धारा 15) सदस्यों द्वारा ही होता है। - जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव (धारा 19) और हटाया जाना (धारा 28) सदस्यों द्वारा ही होता है।

पंचायत सदस्य का मानदेय 100 प्रति माह है। यह कुशल श्रमिक के एक दिन के न्यूनतम वेतन 487 से भी कम है। इसे बढ़ाकर 500 भत्ता x 4 बैठक = 2000 प्रति माह किया जाना चाहिए। संविधान में निर्धारित 30 विषयों की जिम्मेदारी निभाने के लिए हर महीने - पंचायत बैठक (1) + भूमि प्रबंधक समिति (1) + शिक्षा समिति (2) = कम से कम चार बैठक

त्वरित निदान हेतु आपके संज्ञान में लाए हैं। कृपया जल्दी से जल्दी अपेक्षित कार्यवाही करें। भवदीय, नीचे के पन्नों पर विधानसभा-वार समर्थकों की सूची दी गई है।


प्रमुख प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1 – पंचायत सदस्यों का मानदेय बढ़ाने पर कितना खर्चा आएगा?

उत्तर – लगभग 58,189 पंचायत x 10 पंचायत सदस्य x 12 महीने x 2000 रु ~ 1,396 करोड़ सालाना। हम सभी प्रदेशवासी जो रोजाना - पारले-जी, कपड़ा, कापी-किताब, मोबाइल रिचार्ज, पैट्रोल आदि नाना प्रकार से जो टैक्स देते हैं, उससे राज्य सरकार का 2024-25 का वार्षिक बजट है 7,36,437 लाख करोड़ में से यह मात्र 1,396 / 7,36,437 *100 = 0.19 % या सरल भाषा में सौ रुपए के सालाना बजट मे से बीस पैसे से भी कम पड़ेगा।

प्रश्न 2 – पंचायत सचिव एक साथ पांच से दस पंचायतों का कार्यभार देखते हैं, किस पंचायत से उसकी पगार भेजी जाए?

उत्तर – किसी भी एक पंचायत कोष से भेज सकते हैं। उनमें जिम्मेदारी का भाव निश्चित ही बढ़ेगा। साथ ही राज्य सरकार रिक्त पदों को जल्दी से जल्दी भर दे, जिससे उनका बोझ भी कम हो जाएगा और हर गांव को उचित सुविधा मिलेगी