क्षरण

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हिंदू धर्म का क्षरण

मूल कारण

  1. माता पिता और घर के बड़ों द्वारा उपेक्षा - अब घर के बड़े ही गुरुकुल में, सोलह संस्कारों विशेषतया उपनयन संस्कार में रुचि नहीं लेते। उपनयन संस्कार 7-14 की आयु में हो जाना चाहिए, नहीं तो देर हो जाती है।
  2. पुरोहित (यजमानी) - स्थानीय पुरोहित भी जब घर जाते हैं तो उपनयन संस्कार या गुरुकुल की चर्चा नहीं करते। अब तो गिरावट इतनी हो गई है कि बताने पर भी माता पिता विवाह के पिछले दिन जनेऊ की औपचारिकता निभा देते हैं।
  3. पुजारियों का लोभ - घर पर आने वाले पुजारियों का लोभ, आध्यात्मिक जानकारी की कमी, आदि देखकर लोगों का उत्साह कम हो जाता है।
  4. स्कूली शिक्षा - मैकाले पद्धति की शिक्षा स्वतंत्रता के बाद भी चल रही है। इसमें हिंदू धर्म को मिथक बताने की ईसाई परंपरा चली आ रही है। बंदर की संतान आदि झूठी बातें भी पढ़ाई जाती रही हैं।
  5. फिल्म - हिंदी फिल्मों में उर्दू और इस्लामियों ने हिंदू धर्म का उपहास ही दिखाया है। मौलवी और पादरी को - स्वस्थ, दृढ़ चरित्र और नेता दिखाया जाता है। हिंदू ज्योतिषी, पुजारी को दुर्बल और लोभी दिखाया जाता है। इससे हिंदुओं का मनोबल कम होता है। पिछले पचहत्तर सालों में कश्मीर फाइल और केरल स्टोरी को छोड़कर हमेशा मजहबी और ईसाईयों को
  6. समाचार - इसमे कम्यूनिस्टों और विदेशी ईसाई कंपनियों का प्रभाव है।
  7. उच्चतर शिक्षा - यह अंग्रेजी श्रेष्ठता के झूठे आडंबर और झूठे इतिहास से भरी रहती हैं। हिंदू सभ्यता की अच्छी बातों को छुपाया जाता है।
  8. सिविल सर्विस - परीक्षा की तैयारी में हिंदू निंदा और झूठे इतिहास से भरी पुस्तकों से ही पढ़ना पड़ता है। तैयारी करने वालों में हिंदू घृणा के बीज डाले जाते हैं।