चार वर्ण

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चार वर्ण

गीता १८-४१ में भगवान श्रीकृष्ण ने चार वर्णों का नाम बताया - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। चारों वर्णों के धर्मों का वर्णन - गीता १८-४२, गीता १८-४३ और गीता १८-४४ में है।


किसने बनाए

गीता ४-१३ में भगवान श्रीकृष्ण ने चार वर्णों को अपनी सृष्टि बताया। जिसका आधार गुण और कर्म हैं।


व्यवहार

गीता ५-१८ जो इन चारों में सम देखता है वही देखता है। (बाकी को कमजोर दृष्टि या अंधा समझ सकते हैं)


आजकल

यूपी में विशेष रूप से पूर्वांचल में आम व्यवहार में स्वयंबोध कमजोर हो गया है। बहुत कम घरों में गीता मिलती है (१० प्रतिशत से कम)। उसमें भी सब नहीं पढ़ते। इसलिए अज्ञानवश शूद्रों से कठोरता/रूखा का व्यवहार देखा जाता है।


जन्म से या कर्म से

यह समझने के लिए गीता ४-५ ले ४-४२ तक एकसाथ पढ़ना पड़ता है। पुनर्जन्म, कई बीते जन्म, कर्म का उपदेश है।