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स्वामी विवेकानंद गुरू की खोज में दो प्रश्न पूछतें थे
स्वामी विवेकानंद गुरू की खोज में दो प्रश्न पूछतें थे


१. क्या आपने भगवान को देखा है?
'''१. क्या आपने भगवान को देखा है?'''


२. क्या मुझे दिखा सकते हैं?
'''२. क्या मुझे दिखा सकते हैं?'''


परमहंस रामकृष्ण ने पहले के उत्तर में - हां कहा था।
परमहंस रामकृष्ण ने पहले के उत्तर में - हां कहा था।
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दूसरे के उत्तर में सामने बिठा कर अपने पैर के अंगूठे से इनके हृदय पर स्पर्श कर दिया था। विवेकानंद जी की आंखों के आगे प्रकाश ही प्रकाश हो गया था और वह कुछ देर के लिए अचेत हो गए थे।
दूसरे के उत्तर में सामने बिठा कर अपने पैर के अंगूठे से इनके हृदय पर स्पर्श कर दिया था। विवेकानंद जी की आंखों के आगे प्रकाश ही प्रकाश हो गया था और वह कुछ देर के लिए अचेत हो गए थे।


यही दो कसौटियां गुरू बनाने के लिए प्रयोग उचित है।
यही दो कसौटियां गुरू बनाने के लिए प्रयोग उचित है।<br>


== भगवत प्रेम ==
''नोट - परमहंस रामकृष्ण जी अनपढ़ थे।''
 
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'''भगवत प्रेम'''<br>
 
[[File:RK Paramhansa.jpg|200px|frame|center]]
यह कठिन सिद्धि है। [https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A8_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BE सोपान परंपरा] का विस्तार जानें।
यह कठिन सिद्धि है। [https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%B8%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A8_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BE सोपान परंपरा] का विस्तार जानें।


== निकटतम इतिहास में ==
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[https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5_%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C प. गोपीनाथ कविराज] जी ने निकटतम इतिहास के कई साधकों और सिद्धों का विस्तार से वर्णन किया है।
'''निकटतम इतिहास में'''<br>
 
[https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A5_%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C प. गोपीनाथ कविराज] जी ने निकटतम इतिहास के कई साधकों और सिद्धों का विस्तार से वर्णन किया है। साधु दर्शन एवं सत्प्रसंग - [https://www.vvpbooks.com/bookDetail.php?bid=230 भाग 1-2], [https://www.vvpbooks.com/bookDetail.php?bid=231 भाग 3], [https://www.vvpbooks.com/bookDetail.php?bid=2186 भाग 4]
 
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'''दोहे'''<br>
 
गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागों पायं
बलिहारी गुरू आपनो, गोविंद दियो मिलाय - संत कबीरदास
 
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'''क्या आपको गुरु मिल सकता है?'''<br>
मूल अंग्रेजी
My master said, "From this day on, don't lie. Practice this rule faithfully for the next three months."
अनुवाद
मेरे गुरु ने कहा - आज से झूठ मत बोलना। अगले तीन महीने तक नियम से इसका पालन करना।


साधु दर्शन एवं सत्प्रसंग - [https://www.vvpbooks.com/bookDetail.php?bid=230 भाग 1-2], [https://www.vvpbooks.com/bookDetail.php?bid=231 भाग 3], [https://www.vvpbooks.com/bookDetail.php?bid=2186 भाग 4]
स्वामी राम के गुरूजी और एक जिज्ञासु को पहला उपदेश [https://amzn.in/d/1tOyPQM Living with the Himalayan Masters, by Swami Rama, पृष्ठ 59 से]

Latest revision as of 15:14, 8 January 2025

स्वामी विवेकानंद गुरू की खोज में दो प्रश्न पूछतें थे

१. क्या आपने भगवान को देखा है?

२. क्या मुझे दिखा सकते हैं?

परमहंस रामकृष्ण ने पहले के उत्तर में - हां कहा था।

दूसरे के उत्तर में सामने बिठा कर अपने पैर के अंगूठे से इनके हृदय पर स्पर्श कर दिया था। विवेकानंद जी की आंखों के आगे प्रकाश ही प्रकाश हो गया था और वह कुछ देर के लिए अचेत हो गए थे।

यही दो कसौटियां गुरू बनाने के लिए प्रयोग उचित है।

नोट - परमहंस रामकृष्ण जी अनपढ़ थे।


भगवत प्रेम

यह कठिन सिद्धि है। सोपान परंपरा का विस्तार जानें।


निकटतम इतिहास में

प. गोपीनाथ कविराज जी ने निकटतम इतिहास के कई साधकों और सिद्धों का विस्तार से वर्णन किया है। साधु दर्शन एवं सत्प्रसंग - भाग 1-2, भाग 3, भाग 4


दोहे

गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागों पायं
बलिहारी गुरू आपनो, गोविंद दियो मिलाय - संत कबीरदास


क्या आपको गुरु मिल सकता है?

मूल अंग्रेजी
My master said, "From this day on, don't lie. Practice this rule faithfully for the next three months."
अनुवाद
मेरे गुरु ने कहा - आज से झूठ मत बोलना। अगले तीन महीने तक नियम से इसका पालन करना।

स्वामी राम के गुरूजी और एक जिज्ञासु को पहला उपदेश Living with the Himalayan Masters, by Swami Rama, पृष्ठ 59 से